Putin ने Modi को कहा ‘Dear Friend’: SCO समिट में भारत-रूस-चीन का नया त्रिकोण; uS and pakistan cries in corner



अगर आपको लगता था कि SCO समिट में सिर्फ भारत-चीन की बातचीत ही बड़ी खबर है, तो आप गलत हैं। असली ड्रामा तो तब हुआ जब राष्ट्रपति पुतिन ने PM मोदी को ‘डीयर फ्रेंड’ कहकर बुलाया और पूरी दुनिया को दिखा दिया कि भारत-रूस की दोस्ती कितनी गहरी है।


पुतिन के इमोशनल शब्द


जब पुतिन ने PM मोदी से बात की, तो उनके शब्द बेहद गर्मजोशी से भरे थे:
“डीयर मिस्टर प्राइम मिनिस्टर, डीयर फ्रेंड, हमें आपसे मिलकर बहुत खुशी हो रही है।”

यह सिर्फ डिप्लोमैटिक भाषा नहीं थी। पुतिन ने साफ-साफ कहा:
“रूस और भारत के बीच दशकों से स्पेशल रिलेशन है – दोस्ताना और भरोसेमंद। यह रिश्ता सुपरापॉलिटिकल है।”


‘सुपरापॉलिटिकल’ का मतलब यह है कि चाहे कोई भी सरकार आए-जाए, भारत-रूस की दोस्ती हमेशा बनी रहेगी।


पुतिन ने एक अहम बात भी बताई:
“21 दिसंबर को हमारी ‘स्पेशल एंड प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप’ के 15 साल पूरे हो जाएंगे।”


PM मोदी का balanced approach


PM मोदी ने भी बहुत ही समझदारी से जवाब दिया:
“आपसे मिलना हमेशा यादगार होता है। दिसंबर में 1.4 बिलियन भारतीय आपकी भारत यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।”

यह इनवाइटेशन दिखाता है कि भारत पब्लिकली रूस के साथ खड़ा है।


ट्रंप के टैरिफ और भारत-रूस ट्रेड

इस मुलाकात का असल कारण American President Trump द्वारा भारत पर 50% तक का टैरिफ लगाने का आदेश था। इसकी वजह है भारत का रूस से ऑयल इम्पोर्ट करना है।

अमेरिका का गुस्सा:
• व्हाइट हाउस और ट्रेड ऑफिशियल्स नाराज़ हैं
• भारत के न्यूट्रल पोजिशन से भी नाराज़गी
• भारत-रूस-चीन की बढ़ती नज़दीकी भी है एक बड़ी परेशानी


भारत का जवाब

भारत ने साफ कहा है कि हमारी एनर्जी सिक्योरिटी पहले आती है। अगर रशियन तेल सस्ता मिल रहा है, तो हम क्यों न खरीदें?


इंडिया-रूस-चाइना: नया त्रिकोण


SCO समिट में सबसे प्रभावशाली क्षण था जब PM मोदी, प्रेजिडेंट पुतिन और शी जिनपिंग एक साथ नज़र आए।

🔹 बॉडी लैंग्वेज मैटर्स
तीनों लीडर्स की Camaraderie साफ दिख रही थी।
🔹 मल्टीपोलर वर्ल्ड का संकेत
यह नए वर्ल्ड ऑर्डर का संकेत है जहां Western Countries जैसे US डिक्टेट नहीं करेंगी।
🔹 अल्टरनेटिव पोल्स
तीनों देश अपने आप को अल्टरनेटिव Global Leadership के रूप में पेश कर रहे हैं।


पुतिन का हिंदी कनेक्शन


मुलाकात के अंत में पुतिन ने जो कहा, वो बहुत ही इमोशनल था:
“वन्स अगेन, थैंक यू। ऑलवेज डिलाइटेड टू सी यू। थैंक यू, धन्यवाद…”


यह ‘धन्यवाद’ शब्द दिखाता है कि पुतिन भारतीय संस्कृति का कितना आदर करते हैं।


ग्लोबल रिएक्शन: वाशिंगटन में हड़कंप

इस इंडिया-रूस बोंडिंग से अमेरिका और यूरोप में अलार्म बेल्स बज रही हैं।

अमेरिकी चिंताएं
• भारत का स्ट्रैटेजिक ऑटोनमी बढ़ रहा है
• क्वाड की एफेक्टिवनेस में कमी
• रूस को इकोलेट करने की पॉलिसी फेल हो रही है
यूरोपीय फ्रस्ट्रेशन
• भारत यूक्रेन पर सैंक्शन्स जॉइन नहीं कर रहा
• रशियन एनर्जी सेक्टर को इंडायरेक्ट सपोर्ट
• G7 में भारत का इन्फ्लुएंस कम हो रहा है


भारत की मास्टरफुल डिप्लोमेसी


यहां भारत की फॉरेन पॉलिसी में निपुणता देखने को मिलती है:

बहु-संरेखण रणनीति:
• अमेरिका के साथ: टेक्नोलॉजी, क्वाड
• रूस के साथ: एनर्जी, डिफेंस
• चीन के साथ: ट्रेड (सेलेक्टिव)
• यूरोप के साथ: क्लीन एनर्जी, इन्वेस्टमेंट


आगे क्या होगा?

इस मुलाकात के बाद कुछ अहम चीजें देखने को मिल सकती हैं:


शॉर्ट टर्म (अगले 6 महीने)
✅ दिसंबर में पुतिन की भारत विजिट
✅ न्यू इनर्जी प्रोजेक्ट्स की घोषणा
✅ डिफेंस कॉन्ट्रैक्ट्स पर साइनिंग
✅ रुपी-रूबल ट्रेड का विस्तार


लॉन्ग टर्म (अगले 2-3 साल)
✅ $100 बिलियन ट्रेड टारगेट अचीव करना
✅ न्यूक्लियर एनर्जी पार्टनरशिप बढ़ाना
✅ स्पेस टेक्नोलॉजी में कोलैबोरेशन
✅ आर्कटिक रीजन में जॉइंट प्रोजेक्ट्स


निष्कर्ष: भारत का नया ‘स्ट्रैटेजिक ऑटोनमी’ एरा

दोस्तों, पुतिन का ‘डीयर फ्रेंड’ सिर्फ एक फॉर्मल ग्रीटिंग नहीं था। यह 21वीं सदी की जियोपॉलिटिक्स में भारत की राइजिंग पावर का सिंबल था।

🔸 भारत अब किसी का ‘जूनियर पार्टनर’ नहीं है
🔸 मल्टी-अलाइनमेंट ही न्यू नॉर्मल है
🔸 इकॉनमिक इंटरेस्ट से ऊपर कुछ नहीं
🔸 रीजनल पावर्स का कोलैबोरेशन बढ़ेगा
🔸 वेस्टर्न हेजेमनी चैलेंज हो रही है


आने वाले महीनों में देखना होगा कि यह न्यू एक्वेशन कितना सस्टेनेबल है। लेकिन एक बात पक्की है – ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के साथ ‘आत्मनिर्भर भारत’ का यह कॉम्बिनेशन दुनिया को एक नई दिशा दे सकता है!


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