भारत की टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री के लिए मील का पत्थर साबित हो सकते हैं ये 4 प्लांट्स । भारत में सेमीकंडक्टर का बड़ा प्रोडक्शन अब सिर्फ सपना नहीं, बल्कि हकीकत बनने जा रहा है।
हाल ही में भारत सरकार ने चार नए सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स को मंज़ूरी दी है। इनमें दो उड़ीसा, एक पंजाब और एक आंध्र प्रदेश में लगेंगे। यह कदम इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM) के तहत लिया गया है और इन पर करीब 46,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा।
क्यों ज़रूरी हैं ये प्रोजेक्ट्स?
सेमीकंडक्टर को आप इलेक्ट्रॉनिक्स का “दिमाग” यानि “ब्रेन” मान सकते हैं। मोबाइल, लैपटॉप, कार, सोलर पैनल, मिसाइल – लगभग हर आधुनिक मशीन में ये ज़रूरी हैं।

अभी भारत इनका ज़्यादातर हिस्सा आयात करता है, जिससे खर्च भी ज्यादा होता है और हम तकनीकी रूप से दूसरों पर निर्भर रहते हैं।
इन नए प्लांट्स से न सिर्फ आयात पर निर्भरता कम होगी, बल्कि भारत की “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” की दिशा में भी बड़ा कदम होगा।
कहां-कहां लगेंगे ये प्लांट (plant)?

- उड़ीसा (भुवनेश्वर) – Odisha में 1
• SIC Sem Pvt Ltd: सिलिकॉन कार्बाइड (SiC) चिप्स बनाएगा, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल, सोलर और डिफेंस में बेहद जरूरी हैं।
• 3D Glass Solutions Inc.: एडवांस्ड पैकेजिंग और ग्लास सबस्ट्रेट टेक्नोलॉजी – हाई-स्पीड और हाई-पावर चिप्स के लिए। - पंजाब (मोहाली) – Punjab में 1
• Continental Device India Ltd (CDIL): MOSFETs और पावर डिवाइसेस बनाएगा, जो EV, टेलीकॉम और रिन्यूएबल एनर्जी में काम आते हैं। - आंध्र प्रदेश – Andhra Pradesh में 2
• ASIP Technologies: साउथ कोरिया की APEC के साथ साझेदारी में सिस्टम-इन-पैकेज (SiP) चिप्स – मोबाइल, सेट-टॉप बॉक्स और ऑटोमोटिव मॉड्यूल्स के लिए।
रोज़गार और इंडस्ट्री पर असर

इन चार प्रोजेक्ट्स से शुरुआती दौर में ही 2000 से ज्यादा डायरेक्ट स्किल्ड जॉब्स बनेंगे, और अप्रत्यक्ष रूप से हज़ारों और रोजगार के मौके पैदा होंगे।
साथ ही, भारत में सेमीकंडक्टर का पूरा इकोसिस्टम – डिज़ाइन, मैन्युफैक्चरिंग, टेस्टिंग और पैकेजिंग – मज़बूत होगा।
चुनौतियां भी कम नहीं
• हाई-टेक मशीनरी और उपकरणों की वैश्विक कमी
• स्किल्ड वर्कफोर्स की जरूरत
• पावर और पानी जैसी बेसिक सुविधाओं की स्थायी सप्लाई
• इंटरनेशनल मार्केट में कड़ी प्रतिस्पर्धा
कब से शुरू होगा semiconductor प्रोडक्शन?

कैबिनेट अप्रूवल के बाद अब लैंड अलॉटमेंट, टेक्नोलॉजी कॉन्ट्रैक्ट, और फैक्ट्री सेटअप का काम होगा। आमतौर पर बड़े फैब प्लांट बनने में 2-4 साल लगते हैं, इसलिए अनुमान है कि 2027 तक प्रोडक्शन शुरू हो जाएगा।
निष्कर्ष
अगर सब योजना के मुताबिक हुआ, तो आने वाले समय में भारत सेमीकंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है। यह न सिर्फ हमारी अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा, बल्कि भारत को टेक्नोलॉजी के ग्लोबल मैप पर और ऊंचा स्थान दिलाएगा।
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