7 साल बाद PM Modi और Xi Jinping की ऐतिहासिक मुलाकात: ‘ड्रैगन और हाथी’ का नया डांस; Pakistan चिंतित और US हैरान


तीन महीने पहले तक किसी ने नहीं सोचा था कि प्रधानमंत्री मोदी चीन की सरजमीं पर कदम रखेंगे। लेकिन जो हुआ, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। 7 साल बाद PM मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच आमने-सामने बातचीत हुई है, जिसका असर आने वाले सालों तक दिखेगा।

गलवान से तियानजिन तक का सफर:

याद करिए 2020 की वह काली रात जब गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई थी। उसके बाद भारत-चीन के रिश्ते बर्फ से भी ठंडे हो गए थे। भारत ने 59 चीनी ऐप्स पर बैन लगाया, सीमा पर तनाव बढ़ा, और दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक बातचीत लगभग बंद हो गई।

ट्रंप के टैरिफ का झटका

सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ। ट्रंप ने भारत पर 50% तक का भारी शुल्क लगाया है, जो एशिया में सबसे अधिक है। इससे भारत को समझ आ गया कि पश्चिमी देशों पर अधिक निर्भरता खतरनाक हो सकती है।

चीन की मजबूरी

दूसरी तरफ, चीन की अर्थव्यवस्था भी गंभीर मंदी में चल रही है। उसे भारत जैसे विशाल बाजार की सख्त जरूरत है। चीन नहीं चाहता कि भारत पूरी तरह से अमेरिका-जापान के खेमे में चला जाए।

PM मोदी ने अपनी बातचीत में कहा:

हमारे सहयोग से दोनों देशों के 2.8 बिलियन लोगों के हित जुड़े हुए हैं। इससे पूरी मानवता के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त होगा।”

उन्होंने यह भी कहा:

परस्पर विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर हम अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

शी जिनपिंग का ‘ड्रैगन-एलिफेंट डांस’ मैसेज

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बेहद दिलचस्प बात कही:

“It is the right choice for both sides to be friends… and to have the dragon and the elephant dance together.”

इस वाक्य से साफ स्पष्ट होता है कि चीन भारत को पार्टनर के रूप में देखना चाहता है, प्रतिद्वंद्वी के रूप में नहीं

उन्होंने यह भी कहा:

“China and India are two ancient civilizations in the east… We both shoulder the historical responsibility of improving the well-being of our two peoples.”

मुलाकात के मुख्य फैसले

🔹 कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली

PM मोदी ने खुशी जताते हुए कहा:

कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू की गई है। दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट भी फिर से शुरू की जा रही है।”

🔹 बॉर्डर मैनेजमेंट में सुधार

सीमा पर डिसएंगेजमेंट के बाद शांति और स्थिरता का माहौल बना हुआ है।” – PM मोदी

दोनों देशों के बीच हॉटलाइन स्थापना और नियमित डायलॉग मैकेनिज्म पर सहमति बनी है।

🔹 व्यापारिक सहयोग

  • चीन भारतीय फार्मा, कृषि और IT सेवाओं के लिए अपने दरवाजे खोलेगा
  • रेयर अर्थ मिनरल्स के निर्यात पर लगी रोक हटाने की दिशा में बात
  • भारत-चीन व्यापार घाटे को कम करने पर जोर

रणनीतिक सहयोग के नए आयाम

जलवायु और ऊर्जा सुरक्षा

भारत और चीन ,दोनों देश क्लाइमेट चेंज और एनर्जी सिक्योरिटी पर मिलकर काम करेंगे। यह खासकर तब महत्वपूर्ण है जब पश्चिमी देश कार्बन टैक्स लगाने की तैयारी में हैं।

काउंटर टेररिज्म

आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति पर भी दोनों देशों के बीच चर्चा हुई, जो दक्षिण एशिया की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

पश्चिमी टैरिफ का विरोध

दोनों देश मिलकर ट्रंप के टैरिफ का विरोध करेंगे और मल्टी-पोलर वर्ल्ड के लिए काम करेंगे।

BRI पर भारत की साफ स्टैंड

हालांकि चाइना की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत की चिंताएं बरकरार रहीं। भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स पारदर्शी और संप्रभुता का सम्मान करने वाले होने चाहिए।

75 साल के रिश्ते का नया मोड़

शी जिनपिंग ने याद दिलाया:

“This year marks the 75th anniversary of China-India diplomatic ties. Both sides need to approach and handle our relationship from a strategic height and long-term perspective.”

यह इस ओर इशारा है कि दोनों देश लंबी अवधि की रणनीति पर फोकस कर रहे हैं।

भारत के लिए क्या फायदे?

आर्थिक विविधीकरण

  • ट्रंप के टैरिफ के नुकसान की भरपाई
  • चीनी बाजार में भारतीय उत्पादों की पहुंच
  • मैन्युफैक्चरिंग जोन में निवेश के अवसर

डिप्लोमैटिक लीवरेज

  • QUAD और BRICS दोनों में संतुलन
  • एशियाई शक्तियों का स्वतंत्र एजेंडा
  • अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर मजबूत स्थिति

बॉर्डर स्टेबिलाइजेशन

  • सीमा पर तनाव में कमी
  • डेवलपमेंट पर फोकस की वापसी
  • सुरक्षा बजट का बेहतर उपयोग

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